
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों को “पूर्ण ऑपरेशनल स्वतंत्रता” प्राप्त है। उन्होंने कहा कि सेना को यह अधिकार है कि वह जवाबी कार्रवाई के तरीके, समय और लक्ष्य स्वयं तय करे। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने बैठक में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि हमले के दोषियों और उनके संरक्षकों को “कल्पना से परे” सज़ा दी जाएगी। यह पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत माना जा रहा है, जो अतीत में भारत में आतंकी हमलों का समर्थन करता रहा है।
पीएम मोदी ने सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमता पर पूरा विश्वास जताते हुए कहा, “उन्हें हमारी प्रतिक्रिया की योजना, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी आज़ादी है।”
इसी दिन केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने भी एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें तीनों अर्धसैनिक बलों के प्रमुख और दो अन्य सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सरकार का कहना है कि पाकिस्तान ने इस संधि के नियमों का उल्लंघन किया है।
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने यह भी फैसला किया कि भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिक—जिनके पास दीर्घकालिक, राजनयिक या आधिकारिक वीजा नहीं है—उन्हें 29 अप्रैल तक देश छोड़ना होगा।
इस फैसले के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की और निर्देश दिए कि तय समय सीमा के भीतर कोई भी पाकिस्तानी नागरिक भारत में न रहे।
बाद में, गृह सचिव ने राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिन पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए गए हैं, वे निर्धारित समय तक देश छोड़ दें