
“हरेला: उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा और हरियाली का संकल्प”
उत्तराखंड का पारंपरिक पर्व हरेला केवल एक लोकपर्व नहीं, बल्कि प्रकृति से प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत, कृषि परंपरा और लोक आस्था को दर्शाते हुए हमें प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का संदेश देता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने इस पर्व को नई ऊर्जा और उद्देश्य के साथ मनाने का निर्णय लिया है। “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को आगे बढ़ाते हुए हरेला पर्व को “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” थीम के साथ मनाया जा रहा है।
इस विशेष अवसर पर प्रदेशभर में 7 लाख से अधिक पौधे लगाए जा रहे हैं — यह न सिर्फ धरती माँ के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित भविष्य की नींव भी है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि पर्यावरण की रक्षा केवल जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और संस्कार भी हैं।
हरेला पर्व — हरियाली का उत्सव, प्रकृति के प्रति आभार का अवसर।



