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भारत ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया NASA-ISRO का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह NISAR!!

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भारत ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया NASA-ISRO का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह NISAR

इसरो (ISRO) और नासा (NASA) के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह 30 जुलाई 2025 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह ऐतिहासिक मिशन GSLV-F16 रॉकेट के माध्यम से शाम 5:40 बजे प्रक्षेपित किया गया, जिसने महज़ 18 मिनट में उपग्रह को सूर्य-समकालिक कक्षा (sun-synchronous orbit) में स्थापित कर दिया।

इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने जानकारी दी कि “GSLV-F16 ने 2,392 किलोग्राम वजनी NISAR उपग्रह को सटीकता के साथ उसकी तय कक्षा में स्थापित किया है।

पहला संयुक्त अंतरिक्ष मिशन

NISAR उपग्रह इसरो और अमेरिका की राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया पहला बड़ा उपग्रह मिशन है। इस उपग्रह की अनुमानित मिशन अवधि 5 साल रखी गई है।

नासा की डिप्टी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर, केसी स्वेल्स ने कहा कि NISAR आपदा प्रबंधन, कृषि भूमि की मैपिंग, फसलों की उपज बढ़ाने, भूस्खलन, बाढ़ और भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं पर त्वरित और सटीक प्रतिक्रिया देने में मदद करेगा।

24 घंटे निगरानी, हर मौसम में डेटा

NISAR उपग्रह पृथ्वी की सतह की 12 दिन के अंतराल पर हर मौसम और दिन-रात डेटा उपलब्ध कराएगा। यह उपग्रह माइक्रो स्तर पर बदलावों की निगरानी करने में सक्षम है — जैसे भूमि का धंसना, हिमखंडों की गति, वनस्पति में बदलाव, समुद्री बर्फ वर्गीकरण, जहाजों की पहचान, तटीय निगरानी, तूफानों की प्रकृति, मिट्टी में नमी और सतही जल संसाधनों की मैपिंग।

तकनीकी विशेषताएं

यह दुनिया का पहला उपग्रह है जो दोहरी फ्रीक्वेंसी वाले SAR (Synthetic Aperture Radar) — NASA का L-band और ISRO का S-band — का उपयोग करेगा। इसमें NASA द्वारा तैयार की गई 12-मीटर की मेष एंटीना ISRO के उपग्रह बस के साथ एकीकृत की गई है। यह 242 किमी चौड़ाई में हाई रिज़ोल्यूशन के साथ पृथ्वी का अवलोकन करेगा।

चार चरणों में होगा मिशन संचालन

  1. लॉन्च फेज़: GSLV-F16 के ज़रिए उपग्रह का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक हुआ।
  2. डिप्लॉयमेंट फेज़: लॉन्च के 10वें दिन, 12 मीटर की एंटीना को एक जटिल प्रक्रिया के तहत फैलाया जाएगा।
  3. कमिशनिंग फेज़: पहले 90 दिनों में उपग्रह के सभी तंत्रों का परीक्षण और अंशांकन (कैलिब्रेशन) किया जाएगा।
  4. साइंस ऑपरेशन्स फेज़: इसके बाद NISAR का मुख्य विज्ञान कार्य शुरू होगा, जो 5 वर्षों तक चलेगा। नियमित अंतराल पर इसकी कक्षा को बनाए रखने के लिए आवश्यक कक्षीय संचालन किए जाएंगे।

ISRO को मिली राहत

इस सफल लॉन्च से ISRO को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि हाल के महीनों में एजेंसी को लगातार दो विफलताओं का सामना करना पड़ा था —

  • 18 मई को PSLV-C61/EOS-09 मिशन तकनीकी गड़बड़ी के कारण असफल रहा।
  • 29 जनवरी को GSLV द्वारा लॉन्च किए गए NVS-02 उपग्रह को भी कक्षा में स्थापित करने में मुश्किल आई, जिसके पीछे वाल्व खराबी का कारण बताया गया।

अब NISAR की सफलता ने ISRO को फिर से वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान की दौड़ में मज़बूती से खड़ा कर दिया है।

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