
उत्तराखंड की 12,000 फीट ऊंचाई पर प्लास्टिक कचरे का अंबार, आस्था के साथ बढ़ रहा प्रदूषण का बोझ
उत्तराखंड की ऊंची पर्वत चोटियों पर बसी दिव्य सुंदरता अब प्लास्टिक कचरे से ढकी जा रही है। 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिरों और धामों में श्रद्धालु और पर्यटक पूजा-अर्चना के बाद बोतलें, रैपर और अन्य अपशिष्ट छोड़ जाते हैं।
यह गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा पवित्र स्थलों को डंपिंग ज़ोन में बदल रहा है। समस्या सिर्फ धार्मिक स्थलों की खूबसूरती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही है, जल स्रोतों को प्रदूषित कर रही है और जंगली जीवों के जीवन के लिए खतरा बन रही है।
यह स्थिति साफ संदेश देती है कि आस्था केवल पूजा और अर्पण तक सीमित नहीं है। प्रकृति की रक्षा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मंदिर में प्रसाद चढ़ाना।



