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केदारनाथ हादसा : भूस्खलन में दो तीर्थयात्रियों की मौत, यात्रा 3 सितंबर तक स्थगित!

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केदारनाथ हादसा : भूस्खलन में दो तीर्थयात्रियों की मौत, यात्रा 3 सितंबर तक स्थगित

रुद्रप्रयाग ज़िले में सोमवार सुबह हुए भूस्खलन में दो तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और छह लोग घायल हो गए। हादसे के बाद प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा को अस्थायी रूप से 3 सितंबर तक रोक दिया है।

जानकारी के अनुसार, सुबह 7:34 बजे सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच मुनकटिया क्षेत्र में पहाड़ी से पत्थर और मलबा गिरा। इस दौरान वहां से गुजर रहा एक वाहन इसकी चपेट में आ गया, जिसमें सवार दो यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई।

मृतकों की पहचान उत्तरकाशी ज़िले के बारकोट निवासी रीता (30) और चंद्र सिंह (68) के रूप में हुई है। वहीं, छह अन्य लोग – मोहित चौहान, नवीन सिंह रावत, प्रतिभा, ममता, राजेश्वरी और पंकज – घायल हो गए। इनमें से चार को बेहतर इलाज के लिए उच्च केंद्र रेफर किया गया है।

भारी बारिश के चलते प्रशासन ने तीन दिनों तक यात्रा पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।

बारिश और नदियों का बढ़ता जलस्तर
सोमवार सुबह 8 बजे तक बनबसा में सबसे अधिक 256.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसके अलावा खटीमा (181.0 मिमी), टनकपुर (174.0 मिमी), बस्तिया (170.0 मिमी), कोटी (152.0 मिमी), चकराता (146.0 मिमी), पुरोला (120.0 मिमी) और देवीधूरा (129.0 मिमी) में भी भारी वर्षा दर्ज की गई।

लगातार बारिश से प्रदेश की नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है।

  • उत्तरकाशी में यमुना और कमला नदी,

  • देहरादून में शालिनी नदी,

  • टिहरी में अगलार नदी,

  • रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी चेतावनी स्तर पार कर चुकी हैं।

गंगा का जलस्तर हरिद्वार और ऋषिकेश में भी बढ़ गया है। प्रशासन ने लाउडस्पीकरों से चेतावनी जारी करते हुए लोगों को गंगा किनारे न जाने की सलाह दी है।

बारिश से तबाही का सिलसिला
उत्तराखंड में पिछले एक महीने से भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने कम से कम 10 लोगों की जान ले ली है और कई अभी भी लापता हैं।

  • रविवार को टिहरी और पिथौरागढ़ में दो लोगों की मौत हुई।

  • 29 अगस्त को बादल फटने और भूस्खलन से 6 लोगों की मौत हुई और 11 लोग लापता हो गए।

  • 23 अगस्त को चमोली ज़िले के थराली क्षेत्र में भूस्खलन से एक महिला की मौत हुई थी।

  • 5 अगस्त को गंगोत्री मार्ग पर धाराली क्षेत्र में भीषण बाढ़ ने तबाही मचाई थी, जिसमें होटल और घर बह गए थे।

प्रदेश में इस मानसून सीजन में प्राकृतिक आपदाओं ने लगातार कहर बरपाया है।

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