नोबेल शांति पुरस्कार पर ट्रंप का बड़ा बयान — “वो सम्मान असल में मुझे मिलना चाहिए था”

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर सुर्खियाँ बटोरी हैं। इस बार उन्होंने दावा किया है कि 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की विजेता, वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो ने यह सम्मान उनके सम्मान में स्वीकार किया है।
ट्रंप ने शनिवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा —
> “जिस व्यक्ति को इस साल नोबेल मिला, उसने मुझे फोन कर कहा — ‘मैं यह पुरस्कार आपके सम्मान में ले रही हूं, क्योंकि असली हकदार आप हैं।’ मैंने उनसे यह नहीं कहा था, लेकिन यह सुनकर अच्छा लगा… मैंने लाखों लोगों की जान बचाई है।”
नॉर्वे की नोबेल कमिटी ने माचाडो को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण संक्रमण के प्रयासों के लिए सम्मानित किया। हालाँकि, माचाडो को पुरस्कार मिलना ट्रंप के लिए एक राजनीतिक झटका माना जा रहा है। ट्रंप लंबे समय से यह कहते रहे हैं कि उन्हें “कम से कम चार या पाँच बार नोबेल मिलना चाहिए था,” क्योंकि उन्होंने “दुनिया में कई युद्धों को रोका और शांति स्थापित की।”
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी ट्रंप ने कहा था —
> “मेरा शांति का रिकॉर्ड बेजोड़ है। मैंने छह से सात बड़े संघर्षों को रोका, जिनमें भारत-पाकिस्तान और इज़राइल-ईरान के विवाद भी शामिल थे।”
ट्रंप को इस साल पाकिस्तान सरकार ने “Peace Champion” बताते हुए औपचारिक रूप से नोबेल के लिए नॉमिनेट किया था, लेकिन यह सम्मान माचाडो के पास चला गया — जिसे पाकिस्तान की एक राजनयिक असफलता भी माना जा रहा है।
माचाडो लंबे समय से वेनेज़ुएला की लोकतांत्रिक विपक्ष की प्रमुख आवाज़ रही हैं। उन्होंने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन चलाकर महिलाओं और नागरिक अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया है।



