रूस से भारत के तेल आयात में अमेरिकी टैरिफ के बावजूद स्थिरता!!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूसी तेल खरीद पर 50% टैरिफ लगाने के बावजूद रूस अभी भी भारत का प्रमुख कच्चा तेल स्रोत बना हुआ है। इस वर्ष के पहले आठ महीनों में रूस से तेल आयात में करीब 10% की गिरावट आई है। केपलर कमोडिटी ट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत ने औसतन 4.5 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल आयात किया, जिसमें 1.6 मिलियन बैरल प्रति दिन (लगभग 34%) रूस से था।
अगस्त की तुलना में सितंबर में तेल आयात में 70,000 बैरल प्रति दिन की वृद्धि दर्ज हुई, हालांकि यह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले लगभग स्थिर रहा। अक्टूबर में भी भारत का कुल कच्चा तेल आयात औसतन 1.6 मिलियन बैरल प्रति दिन के स्तर पर बना हुआ है। रूसी तेल की आपूर्ति में औसतन 1.8 लाख बैरल प्रति दिन की गिरावट आई है, जो इस वर्ष के पहले आठ महीनों के औसत से कम है।
केपलर की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह कमी अमेरिकी टैरिफ या यूरोपीय दबाव के कारण नहीं, बल्कि बाजार की परिस्थितियों के प्रभाव से हुई है। हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण रूसी तेल पर मिलने वाला डिस्काउंट लगभग 2 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित हो गया।
डीजल की घरेलू मांग में कमी और मॉनसून सीजन के दौरान खपत घटने के कारण रूसी तेल पर निर्भरता में हल्की गिरावट देखी गई है। इंडियन ऑयल के चेयरमैन अरविंदर सिंह सहनी ने कहा, “हम तेल की खरीद पूरी तरह आर्थिक और उत्पादन क्षमता के हिसाब से करते हैं। कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किया जा रहा कि रूसी तेल का उपयोग बढ़ाया या घटाया जाए।”
केपलर का अनुमान है कि त्योहारी सीजन (अक्टूबर-दिसंबर) में ईंधन की मांग बढ़ने से रूस से आयात फिर स्थिर या बढ़ सकता है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद भारत ने सस्ते दामों पर रूसी तेल अपनाया, जिससे 2022 से जून 2025 तक 12.6 अरब डॉलर की बचत हुई। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऊर्जा सुरक्षा प्राथमिकता है और रणनीतिक साझेदारी के तहत रूस से आयात जारी रहेगा, जबकि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता आगे आयात को प्रभावित कर सकती है।



