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सुरेश रैना: संघर्ष से शिखर तक—भारत के सबसे भरोसेमंद मैच-विनर की प्रेरक कहानी

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भारतीय क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद और बहुमुखी खिलाड़ियों में गिने जाने वाले सुरेश रैना ने अपनी दमदार बल्लेबाजी, फुर्तीली फील्डिंग और कभी-कभार उपयोगी गेंदबाजी से विश्व क्रिकेट में एक अलग पहचान बनाई। उन्हें आज भी प्रशंसक “Mr. IPL” और चेन्नई सुपर किंग्स की धड़कन के रूप में याद करते हैं।

27 नवंबर 1986 को मुरादनगर में जन्मे सोनू उर्फ सुरेश रैना बचपन से ही क्रिकेट के लिए जुनूनी थे। मात्र 11 साल की उम्र में वे सुबह साढ़े चार बजे उठकर अभ्यास के लिए निकल जाते थे। पढ़ाई से ज्यादा खेल में रुचि रखने के कारण अक्सर परिवार की नाराज़गी झेलनी पड़ती थी, लेकिन रैना का मन तो सिर्फ क्रिकेट में बसता था।

लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल में चयन उनके सफर का पहला बड़ा कदम था। यहां सीनियर्स द्वारा किए जाने वाले निजी कामों की परेशानी के बावजूद रैना ने संघर्ष नहीं छोड़ा और मन में बस एक लक्ष्य रखा—भारतीय टीम की नीली जर्सी पहनना।

रैना ने 2002-03 में घरेलू क्रिकेट से शुरुआत की और 2005 में वनडे डेब्यू कर लिया। इसके बाद उन्होंने टी20 (2006) और टेस्ट (2010) में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सीमित ओवरों के खेल में रैना भारत के सबसे विस्फोटक और भरोसेमंद बल्लेबाजों में शामिल रहे।

उन्होंने अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल कीं—

>तीनों अंतरराष्ट्रीय फॉर्मेट में शतक लगाने वाले पहले भारतीय

>टी20 इंटरनेशनल में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज

>IPL में 5,000 रन पूरे करने वाले पहले खिलाड़ी

>डेब्यू टेस्ट में शतक जमाने वाले चुनिंदा भारतीयों में शामिल

>वनडे में 5,000 रन + 100 कैच लेने वाले खिलाड़ियों में स्थान

अपने करियर में रैना ने भारत की ओर से 18 टेस्ट (768 रन), 226 वनडे (5,615 रन, 5 शतक) और 78 टी20 अंतरराष्ट्रीय (1,605 रन) खेले। IPL में उन्होंने 205 मैचों में अपनी धमाकेदार पारियों और बेहतरीन फील्डिंग से प्रशंसकों के दिलों में अमिट जगह बनाई।

सुरेश रैना को हमेशा एक सकारात्मक, टीम-फर्स्ट और निस्वार्थ खिलाड़ी के रूप में याद किया जाएगा—एक ऐसा क्रिकेटर जिसने भारतीय क्रिकेट को कई यादगार पल दिए।

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