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यूनेस्को ने दिवाली को विश्व धरोहर का दर्जा दिया: भारत की सांस्कृतिक चमक को मिली वैश्विक मान्यता

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यूनेस्को ने दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) सूची में शामिल कर भारत की सांस्कृतिक विरासत को ऐतिहासिक सम्मान दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बुधवार को यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह पूरे भारत और विश्वभर में दीपावली मनाने वाले लोगों के लिए गर्व का क्षण है।

यूनेस्को के अनुसार, दीपावली—जिसे दिवाली के नाम से भी जाना जाता है—भारत और विश्वभर की भारतीय समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला प्रकाश पर्व है, जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हर साल कार्तिक अमावस्या को आता है और कई दिनों तक चलता है। इस दौरान लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई व सजावट करते हैं, दीप जलाते हैं, आतिशबाज़ी करते हैं और समृद्धि की कामना के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।

भारत की अन्य धरोहरें भी सूची में:

दीपावली से पहले भी भारत के कई सांस्कृतिक तत्व यूनेस्को सूची में शामिल किए जा चुके हैं, जैसे—

>गरबा (2023)

>दुर्गा पूजा, कोलकाता (2021)

>कुंभ मेला (2017)

>योग (2016)

>रमोली और brass-copper craft (2014)

>रामलीला (2008)

>नवरोज़ (2024)

ये सभी तत्व भारत की विविध सांस्कृतिक जड़ों और परंपराओं को विश्व मंच पर मजबूत पहचान देते हैं।

यूनेस्को सम्मेलन में भारत की मेज़बानी:

भारत पहली बार 8 से 13 दिसंबर के बीच यूनेस्को की 20वीं इंटैन्जिबल हेरिटेज कमिटी सत्र की मेज़बानी कर रहा है। यह आयोजन दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले परिसर में हो रहा है—जहां भारत की ठोस (Tangible) और अमूर्त (Intangible) विरासत का अद्भुत संगम दिखाई देता है।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता भारत के यूनेस्को में स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा कर रहे हैं। साथ ही, यह वर्ष भारत द्वारा 2003 सम्मेलन की पुष्टि के 20 वर्ष पूरे होने का भी प्रतीक है—जो भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को सुरक्षित रखने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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