
दिल्ली के रिटेल मार्केट में सोने की कीमत ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंची
दिल्ली के रिटेल बाजार में मंगलवार को सोने की कीमत ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। आर्थिक अनिश्चितता और सुरक्षित निवेश के प्रति बढ़ती मांग के चलते पीली धातु ने नई ऊंचाइयों को छू लिया।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर भी सोने की कीमत पहली बार ₹99,000 के पार पहुंच गई, जो वैश्विक बुलियन बाजार में तेजी को दर्शाता है। निवेशकों की घटती जोखिम लेने की प्रवृत्ति ने सोने को एक सुरक्षित विकल्प के रूप में और भी आकर्षक बना दिया है।
ट्रेडिंग सत्र की शुरुआत MCX पर ₹98,753 प्रति 10 ग्राम से हुई, जो पिछले बंद ₹97,279 से काफी अधिक था। दिनभर में कीमतों में ₹1,899 (1.95%) की जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई और एक नया रिकॉर्ड ₹99,178 पर बना।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की तेजी जारी रही, खासकर जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल पर तीखी टिप्पणी की। इसके बाद वैश्विक स्तर पर निवेशकों की चिंता और बढ़ गई। स्पॉट गोल्ड 1.7% चढ़कर $3,482.26 प्रति औंस पर पहुंच गया, जबकि दिन के दौरान यह $3,494.66 तक गया। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स में भी 2% की बढ़ोतरी हुई और यह $3,492.60 पर पहुंच गया।
कमजोर होते अमेरिकी डॉलर ने भी सोने की तेजी को बल दिया। डॉलर इंडेक्स, जो डॉलर को छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मापता है, 98.117 पर गिर गया—जो पिछले सात महीनों का न्यूनतम स्तर है। इससे पहले यह 97.923 तक गिरा, जो मार्च 2022 के बाद पहली बार देखा गया स्तर था।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि MCX पर सोना जल्द ही आधिकारिक रूप से ₹1 लाख का आंकड़ा पार कर सकता है, खासकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी तेजी और व्यापारिक तनावों से उपजे आर्थिक डर को देखते हुए।
पिछले एक सप्ताह में सोने ने करीब 4% की बढ़त हासिल की है। हालांकि बाजार की दिशा अब भी मजबूती की ओर है, लेकिन विशेषज्ञ त्रिवेदी ने चेतावनी दी है कि अत्यधिक उतार-चढ़ाव के कारण बाजार में ओवर-लीवरेज्ड ट्रेड्स के प्रति सतर्कता बरतनी होगी।
दुनिया भर में सोना एक लंबे समय से स्थिर और सुरक्षित संपत्ति के रूप में देखा जाता रहा है, खासकर वैश्विक अस्थिरता के समय में। इस बार की तेजी का एक बड़ा कारण ट्रंप के नेतृत्व में व्यापार नीति से जुड़ी चिंताएं भी हैं, जिससे मंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं और निवेशकों ने एक बार फिर से स्थिर और मूर्त संपत्तियों की ओर रुख किया है।