
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन मैदान में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली पर्यटक की जान जाने के बावजूद, जम्मू-कश्मीर खासकर डोडा जिले के खूबसूरत भद्रवाह क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही बनी हुई है। इस दुखद घटना और सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच, कई पर्यटक अपने हौसले और कश्मीर से प्रेम का संदेश दे रहे हैं—डर से पीछे नहीं हटेंगे।
भद्रवाह पहुंचे पर्यटकों ने कहा कि यहां आकर उन्होंने यह साबित किया है कि वे आतंक से डरने वाले नहीं हैं। एक पर्यटक ने कहा, “पहलगाम में जो हमला हुआ, जो पाकिस्तान की तरफ से किया गया, वो बहुत शर्मनाक है। उनका मकसद यहां की टूरिज्म को नुकसान पहुंचाना था। लेकिन कश्मीर था भी हमारा, है भी और रहेगा भी। हम यहां सुरक्षित महसूस कर रहे हैं—हमारी सेना हमारे साथ है और यहां के लोग बहुत अच्छे हैं।”
एक अन्य पर्यटक ने भी इसी भावना को दोहराया: “कई लोगों ने हमें मना किया कि अभी मत जाओ। लेकिन हमने ठान लिया था कि हमें डर कर नहीं रहना है। अगर हम यहां ना आते तो शायद हम डर के आगे झुक जाते। ये धरती हमारे लिए स्वर्ग है, और कोई हमला इसे बदल नहीं सकता।”
अहमदाबाद के पर्यटक ऋषि भट्ट, जो हमले के वक्त ज़िपलाइनिंग कर रहे थे, ने सेना की तेजी से की गई कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने बताया, “सेना 20–25 मिनट में पहुंच गई और सभी पर्यटकों को सुरक्षा दी। कुछ ही मिनटों में क्षेत्र को सुरक्षित कर लिया गया। जब वे पहुंचे, तब हमें सच में सुरक्षित महसूस हुआ। मैं उनका आभारी हूं।”
बैसारन का यह खूबसूरत मैदान, जो आमतौर पर पर्यटकों से भरा रहता है, अब आतंक का गवाह बना, लेकिन देशभर से लौटे पर्यटक यह साफ संदेश दे रहे हैं कि आतंकवाद जानें ले सकता है, लेकिन न कश्मीर की रूह को मिटा सकता है और न ही उसके चाहने वालों की हिम्मत को।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और जनता की मजबूत इच्छाशक्ति के चलते कश्मीर घाटी में डर नहीं, बल्कि दृढ़ता का माहौल है।
कश्मीर खुला है, उसकी खूबसूरती जस की तस है। और यहां आने वाले लोग—अडिग हैं।