भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ स्ट्राइक्स में मारा गया मसूद अजहर का परिवार, बहावलपुर में सबाह अल्लाह कैंप तबाह!!

भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ स्ट्राइक्स में मारा गया मसूद अजहर का परिवार, बहावलपुर में सबाह अल्लाह कैंप तबाह
नई दिल्ली: भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में की गई सटीक सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सबाह अल्लाह परिसर पर हुई स्ट्राइक में आतंकी सरगना मसूद अजहर के 10 परिजन और 4 करीबी सहयोगी मारे गए हैं। यह जानकारी BBC उर्दू की रिपोर्ट में दी गई है, जिसमें खुद मसूद अजहर के बयान का हवाला दिया गया है।
भारत ने मंगलवार तड़के 1:05 बजे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। बहावलपुर और मुरिदके में हुए दो सबसे बड़े हमलों में करीब 60 आतंकियों के मारे जाने की खबर है। यह जवाबी कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई थी, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी।
कौन मारे गए मसूद अजहर के परिवार से?
BBC उर्दू के मुताबिक, भारत की स्ट्राइक में मसूद अजहर की बड़ी बहन और उसके पति, भतीजा और उसकी पत्नी, एक और भतीजी और उसके 5 बच्चे मारे गए हैं। इसके अलावा अजहर की मां, उसका एक करीबी सहयोगी और दो अन्य नजदीकी आतंकी भी हमले में मारे गए।
सबाह अल्लाह कैंप तबाह
बहावलपुर का सबाह अल्लाह कैंप, जो 18 एकड़ में फैला हुआ था और उस्मान-ओ-अली परिसर के नाम से भी जाना जाता था, पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गया है। यह परिसर जैश-ए-मोहम्मद का भर्ती, चंदा और कट्टरपंथी प्रशिक्षण का मुख्य केंद्र माना जाता था। इंडिया टुडे द्वारा एक्सक्लूसिव विजुअल्स में देखा गया कि मस्जिद समेत पूरा परिसर खंडहर बन चुका है।
मुरिदके में भी मारा गया 30 आतंकवादी
इसी तरह मुरिदके में स्थित मस्जिद वा मरकज़ तैयबा पर भी भारतीय वायुसेना की स्ट्राइक हुई, जो जैश का एक और मजबूत गढ़ माना जाता है। यहां भी लगभग 30 आतंकियों के मारे जाने की खबर है।
70 से 80 आतंकी ढेर
अधिकारियों के अनुसार, बाकी ठिकानों पर भी हताहतों की संख्या की पुष्टि की जा रही है, लेकिन अब तक कुल 70 से 80 आतंकियों के मारे जाने का अनुमान है।
यह कार्रवाई पाकिस्तान की आतंकवाद पोषक नीतियों के खिलाफ भारत की निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया मानी जा रही है, जिसमें आतंकियों को निशाना बनाते हुए सैन्य टकराव से परहेज़ किया गया।