ब्रिटेन से भारत को UN सुरक्षा परिषद की सीट — पूर्व राजदूत किशोर महबूबानी का 200 साल पुराना तर्क!!

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की मांग लंबे समय से चल रही है और कई देशों ने खुलकर भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। इसी बीच सिंगापुर के पूर्व राजदूत और पूर्व UNSC अध्यक्ष किशोर महबूबानी ने एक बार फिर ब्रिटेन से आग्रह किया है कि वह अपनी स्थायी सदस्यता भारत को सौंप दे। उनका यह बयान न केवल राजनीतिक बल्कि प्रतीकात्मक रूप में भी बड़ा महत्व रखता है।
महबूबानी ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा, “ब्रिटेन ने भारत पर 200 साल तक शासन किया है, इसलिए यह न्यूनतम प्रायश्चित होगा कि वे अपनी सीट छोड़ दें।” उन्होंने यह विचार एक IIM एलुमिनी कार्यक्रम में साझा किया, जहाँ उन्होंने भारत को वैश्विक राजनीति का “तीसरा ध्रुव” करार दिया।
महबूबानी के तर्क:
>उन्होंने कहा कि UNSC की स्थायी सीटें “आज की महाशक्तियों” के लिए होनी चाहिए, न कि “कल की महाशक्तियों” के लिए।
>ब्रिटेन ने दशकों से वीटो पावर का उपयोग नहीं किया है, जो दर्शाता है कि वह वैश्विक मामलों में निर्णायक भूमिका निभाने में सक्षम नहीं रहा।
>भारत की अर्थव्यवस्था, जनसंख्या और कूटनीतिक क्षमता इसे दुनिया का तीसरा सबसे प्रभावशाली देश बनाती हैं।
>उन्होंने जोर देकर कहा कि कोविड, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय संकट जैसे वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए एक मजबूत परिषद की आवश्यकता है, और भारत इसमें अहम भूमिका निभा सकता है।
महबूबानी ने आगे कहा कि भारत-यूएनएससी गठबंधन वैश्विक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि ब्रिटेन अपनी सीट छोड़कर न केवल भारत को अवसर देगा बल्कि खुद भी वैश्विक मंच पर स्वतंत्र और विश्वसनीय भूमिका निभा सकेगा।
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बनने के कगार पर है। हालांकि ब्रिटेन ने भारत के यूएनएससी प्रवेश का समर्थन किया है, लेकिन अपनी स्थायी सीट छोड़ने की कोई योजना सार्वजनिक नहीं की है।




