
उत्तराखंड की चर्चित पेपर लीक जांच में बड़ा मोड़ सामने आया है। असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन की गिरफ्तारी ने न केवल इस मामले की परतें उधेड़ दी हैं, बल्कि स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस प्रोफेसर को पहले पुलिस एक “सहयोगी” की तरह प्रस्तुत करती रही, सीबीआई की जांच ने उसे अब मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक घोषित कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, जिस दिन देहरादून एसएसपी कार्यालय में इस हाई-प्रोफाइल मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी, उस दौरान चयन आयोग के अध्यक्ष भी मौजूद थे। चौंकाने वाली बात यह थी कि सुमन का नाम उस वक्त संदिग्ध के रूप में नहीं, बल्कि लगभग एक मददगार की तरह पेश किया गया। पत्रकारों ने जब उसकी भूमिका पर सवाल उठाए, तो पुलिस अधिकारी तुरंत उसके बचाव में आते दिखे। इतना ही नहीं—संकेत तक दिए गए कि उसे “सरकारी गवाह” बनाया जा सकता है।
लेकिन सीबीआई की गहराई से हुई जांच में तस्वीर पूरी तरह उलट गई। एजेंसी ने पाया कि सुमन ने अपनी बहन के माध्यम से प्रश्नपत्र हल करवाकर अभ्यर्थियों तक पहुंचाया। यही नहीं, सुमन ने स्वयं प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट भेजे, जिनमें से कुछ बाद में सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गए। इसके अलावा, खालिद मलिक की दूसरी बहन हिना की संलिप्तता भी सामने आई है।
जांच एजेंसी अब और नामों की भी धरपकड़ के लिए तैयार है। कई संदिग्धों पर निगरानी बढ़ा दी गई है और आने वाले दिनों में नई गिरफ्तारियां संभव हैं।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि एक शिक्षक, जिसे छात्रों का भविष्य संवारने का दायित्व सौंपा गया था, स्वयं परीक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाली कड़ी बन गई। यह भी सामने आया कि सुमन कई प्रतियोगी परीक्षाओं में स्वयं शामिल हो चुकी थी, फिर भी उसने इस अनैतिक गतिविधि में भाग लिया।
हरिद्वार के जिस परीक्षा केंद्र से सवालपत्र लीक हुआ था—आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज—वह भी अब कटघरे में है। पहले ही इस केंद्र से जुड़े कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, और अब जांच यहां और भी गहराई से की जा रही है।



