
देश के लोकपाल कार्यालय द्वारा हाल ही में 7 BMW कारों की खरीद के लिए जारी किए गए विज्ञापन पर अब भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर अब पूर्व आईपीएस अधिकारी और पुदुचेरी की उपराज्यपाल किरन बेदी ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
बेदी ने कहा कि लोकपाल जैसी संस्था का अपने बजट का बड़ा हिस्सा लग्जरी गाड़ियों पर खर्च करना “अनुचित” है। उनके अनुसार, इन गाड़ियों की खरीद पर करीब 5 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि लोकपाल का कुल वार्षिक बजट 44.32 करोड़ रुपये है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 2023-24 में “मोटर वाहन मद” के तहत सिर्फ 12 लाख रुपये का बजट था और तब कोई खर्च नहीं किया गया, तो अब अचानक इतनी महंगी विदेशी कारों की जरूरत क्यों पड़ गई?
किरन बेदी ने कहा,
> “जब प्रधानमंत्री मोदी ‘स्वदेशी’ और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दे रहे हैं, तब लोकपाल को भी भारतीय कारों को प्राथमिकता देनी चाहिए थी। क्या भारत में अब अच्छी कारें नहीं बनतीं?”
उन्होंने आगे कहा कि लोकपाल जैसी संस्था को “सरल जीवन, उच्च विचार” के सिद्धांत पर काम करना चाहिए, न कि ऐशोआराम पर।
वहीं, कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस मुद्दे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि,
> “लोकपाल की परिकल्पना 1960 में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए की गई थी, न कि BMW चलाने के लिए।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोकपाल के पास वर्तमान में 8,703 शिकायतें दर्ज हैं, लेकिन इनमें से केवल 24 मामलों में जांच शुरू की गई और 6 मामलों में मुकदमे की अनुमति दी गई है। ऐसे में संस्था के प्रदर्शन पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
पूर्व आईएएस अशोक खेमका ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकपाल का मंत्र होना चाहिए —
> “सादा जीवन, ऊँचे आदर्श।”



