देशभर में बढ़ते ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटालों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सभी केस सीबीआई को सौंपने के संकेत

देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर फ्रॉड और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा है कि इन मामलों की विस्तार और गंभीरता को देखते हुए वह देशभर में दर्ज सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने पर विचार कर रहा है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर इन मामलों में दर्ज FIR और केस विवरण मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अपराध सिर्फ पैसों की ठगी नहीं, बल्कि न्यायपालिका और सरकारी संस्थाओं के नाम का दुरुपयोग है, जो विश्वास और प्रतिष्ठा पर सीधा हमला है।
कई मामलों में देखा गया है कि ठग विदेश बैठकर वीडियो कॉल, स्क्रीन-शेयरिंग और नकली नोटिसों के जरिए लोगों को “कानूनी कार्यवाही” का डर दिखाकर पैसे वसूलते हैं।
कोर्ट की बेंच — जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची — ने सीबीआई से पूछा है कि क्या इन मामलों की जांच के लिए उसे बाहरी साइबर विशेषज्ञों और अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट खुद इस जांच की मॉनिटरिंग करेगा और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त दिशा-निर्देश भी जारी करेगा।
यह कदम हरियाणा के अंबाला में एक वरिष्ठ दंपती से 1.05 करोड़ की ठगी के मामले के बाद सामने आया, जहां दंपती को फर्जी अदालत आदेश और सरकारी नामों के जरिए डराकर पैसे लिए गए थे। कोर्ट ने इसे अत्यंत गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि ऐसे अपराधों को सामान्य साइबर क्राइम की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।



