उत्तरकाशी में जीवित हुई पुरानी परंपरा: दुल्हन बारात लेकर पहुंची दूल्हे के घर, बिना दहेज के हुई शादी

उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील के कलीच गांव में रविवार की रात एक अनोखी शादी देखने को मिली, जब दुल्हन कविता खुद बारात लेकर दूल्हे मनोज के घर पहुंची। यह परंपरा, जिसे स्थानीय भाषा में ‘जोजोड़ा’ कहा जाता है, करीब 50 साल बाद दोबारा जीवित हुई है।
जौनसार बावर क्षेत्र में यह परंपरा पहले आम थी, लेकिन बंगाण क्षेत्र में 1970 के बाद धीरे-धीरे लुप्त हो गई थी। रविवार को जब कविता अपने गांव जाकटा से ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बारात लेकर कलीच पहुंची, तो पूरा क्षेत्र इस ऐतिहासिक पल का गवाह बना।
इस शादी की खासियत यह रही कि दहेज का कोई लेनदेन नहीं हुआ। दूल्हे के पिता और पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान ने कहा, “अगर हमें अपनी संस्कृति बचानी है तो हमें पुराने रीति-रिवाजों को फिर से जीवित करना होगा।”
इतिहासकार प्रयाग जोशी, जिन्होंने “रवाई से उत्तराखंड” किताब लिखी है, बताते हैं कि ‘जोजोड़ा’ विवाह का उद्देश्य बेटी के पिता पर आर्थिक बोझ कम करना था। अब नई पीढ़ी इस पुरानी परंपरा को फिर से जीवित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।



