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सुप्रीम कोर्ट ने दी महत्वपूर्ण सीख — अदालतों का मकसद जनता को हैरान करना नहीं!!

सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे ऐसे आदेश न दें जो जनता को हैरान कर दें या याचिकाकर्ताओं के दावों से परे हों। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि न्यायपालिका को याचिका के दायरे में रहते हुए ही निर्णय देना चाहिए, जिससे याचिकाकर्ता ठगा हुआ या अपमानित महसूस न करे।
कोर्ट ने यह टिप्पणी कोच्चि देवस्वम बोर्ड और चिन्मय मिशन एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट के बीच जमीन उपयोग और लाइसेंस फीस के मामले की सुनवाई के दौरान की। मामला 1974 का है, जब ट्रस्ट को शादी, सांस्कृतिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए 13.5 सेंट भूमि आवंटित की गई थी। इस शर्त के तहत हॉल देवस्वम के कार्यक्रमों और यात्रियों के लिए निशुल्क उपलब्ध कराना था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केरल हाई कोर्ट के दोनों निर्देशों को खारिज कर दिया।




