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चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 में राष्ट्रपति मुर्मू का सूत्रवाक्य—‘बदलती दुनिया में भारत की सुरक्षा सर्वोपरि

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को नई दिल्ली में भारतीय सेना द्वारा आयोजित तीसरे ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025’ के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों, भारत की रक्षा तैयारियों और भविष्य के विज़न पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि दुनिया इस समय बेहद तेज़ी से बदल रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शक्ति संतुलन बदल रहे हैं, तकनीकी उथल-पुथल नए खतरे पैदा कर रही है और कई देशों के बीच गठबंधन भी नए स्वरूप ले रहे हैं। ऐसे माहौल में भारत को न सिर्फ रणनीतिक रूप से मजबूत होना है, बल्कि वैश्विक परिदृश्य को समझते हुए अपनी सुरक्षा नीति को भी और सुदृढ़ करना है।

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना लगातार आधुनिक युद्ध तकनीकों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और नई सामरिक चुनौतियों के लिए खुद को ढाल रही हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि भारत की सशस्त्र सेनाएँ आने वाले वर्षों में भी उत्कृष्टता की नई मिसालें कायम करती रहेंगी।

राष्ट्रपति ने आगे कहा:

“मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारी सशस्त्र सेनाएँ 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ती रहेंगी।”

उन्होंने इस डायलॉग को भारत की रणनीतिक सोच, वैश्विक सैन्य सहयोग और भविष्य की रक्षा नीतियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम में कई देशों के रक्षा विशेषज्ञ, पूर्व सैन्य अधिकारी, रणनीतिक विश्लेषक और नीति-निर्माता शामिल हुए।

यह डायलॉग आधुनिक युद्ध, हाइब्रिड वारफेयर, इंडो-पैसिफिक रणनीति और वैश्विक सुरक्षा ढांचे में भारत की भूमिका पर केंद्रित है।

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