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सबरिमला में अव्यवस्था पर भड़का अयप्पा सेवा संघम: सेवाएं रोकने से बढ़ी भक्तों की परेशानी

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अखिला भारत अयप्पा सेवा संघम, जो अयप्पा भक्तों के सबसे बड़े संगठनों में से एक है, ने आरोप लगाया है कि तीर्थयात्रा सीजन शुरू होने से पहले ही उन्होंने कई बार सरकार को भीड़ प्रबंधन को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन उनकी बात को नज़रअंदाज कर दिया गया।

संगठन का दावा है कि सबरीमाला में तीर्थ सीजन की शुरुआत के साथ ही भारी भीड़ उमड़ी, लेकिन प्रशासन कथित रूप से सोने की चोरी विवाद में उलझा रहा और तीर्थस्थल की बुनियादी जरूरतों पर ध्यान देने में असफल रहा।

अयप्पा सेवा संघम ने बताया कि कई श्रद्धालुओं को 10 घंटे तक बिना पानी और भोजन के कतार में खड़े रहना पड़ा। उनका कहना है कि वर्षों से तीर्थयात्रियों को मुफ्त भोजन और नाश्ता उपलब्ध कराने वाली कई संस्थाओं—जैसे अमृतानंदमयी मठ और सुब्रमण्य रिलीजन ट्रस्ट—को इस बार सेवा देने से रोक दिया गया।

संघम के महासचिव डी. विजयकुमार ने कहा,
“जब सभी सेवा संस्थाओं को रोका गया, तो यात्रियों की सहायता करने वाला कोई भी संगठन मैदान में नहीं बचा।”

उनके अनुसार, देवस्वम बोर्ड के पास सीमित स्टाफ है, जो इतनी बड़ी भीड़ को संभालने में सक्षम नहीं है, जबकि संघम वर्षों से सन्निधानम में भक्तों, पुलिस और कर्मचारियों को चौबीसों घंटे भोजन उपलब्ध कराता रहा है।

उन्होंने चेतावनी दी कि नादापनथल क्षेत्र में श्रद्धालु बेहद खतरनाक भीड़भाड़ में खड़े हैं।
“अगर कोई बच्चा गिर जाए तो भीड़ उसे कुचल सकती है… स्थिति बेहद जोखिम भरी है,” विजयकुमार ने कहा।

उन्होंने प्रशासन पर यह भी आरोप लगाया कि पिछले बोर्ड की लापरवाही के कारण ही व्यवस्था चरमरा गई और नए अध्यक्ष की नियुक्ति संकट के बाद की गई है। विजयकुमार ने सुझाव दिया कि सबरीमाला में भी तिरुपति जैसा केंद्रीयकृत सिस्टम लागू किया जाना चाहिए।

संगठन का कहना है कि 1 से 5 दिसंबर के बीच तेलुगू भाषी श्रद्धालुओं का भारी सैलाब सबरीमला पहुंचता है, जिससे अव्यवस्था और बढ़ सकती है।

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