भारतीय स्कीयरों की गौरवगाथा: शैलजा कुमार से आरिफ खान तक विंटर ओलंपिक में भारत की अनोखी यात्रा

भारत की भागीदारी बीजिंग में 4 फरवरी से शुरू हुए वैश्विक शीतकालीन खेलों में एक बार फिर दर्ज हुई है। जम्मू-कश्मीर के अल्पाइन स्कीयर आरिफ खान इस बार अकेले भारतीय खिलाड़ी के रूप में विंटर ओलंपिक में उतरे हैं। खास बात यह है कि उन्होंने दो अलग-अलग इवेंट—मेनस् स्लालम और जायंट स्लालम—में सीधे कोटा हासिल किया, जो उन्हें ऐसा करने वाले पहले भारतीय एथलीट बनाता है।
भारत की विंटर ओलंपिक यात्रा की शुरुआत:
हालांकि भारत की उपस्थिति विंटर ओलंपिक में नई नहीं है। भारत का पहला कदम इन खेलों में 1940 के दशक में पड़ता है, जब जेरेमी बुजाकोव्स्की ने पुरुषों की डाउनहिल अल्पाइन स्कीइंग में हिस्सा लेकर इतिहास रचा। उनके बाद लगभग 20 वर्षों तक भारत इन खेलों से दूर रहा।
शैलजा कुमार—भारतीय महिलाओं की पहली विंटर ओलंपिक प्रतिनिधि:
भारत की वापसी 1988 के कैलगरी विंटर ओलंपिक से हुई। इसी दौरान भारतीय खेल इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा—शैलजा कुमार, जो विंटर ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने गुल देव और किशोर रत्ना राय के साथ प्रतियोगिता में भाग लिया।
17 जनवरी 1967 को जन्मी शैलजा कुमार बचपन से ही अल्पाइन स्कीइंग की ओर आकर्षित थीं। कठिन बर्फीली परिस्थितियों में स्की कंट्रोल करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन कुमार ने इसे अपने आत्मविश्वास और कौशल से आसान बना दिया।
कैलगरी ओलंपिक में उनका प्रदर्शन दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा—
>बेहतरीन स्ट्रेट रनिंग
>मजबूत स्टेम टर्न
>प्रभावशाली किक-रन
>और सटीक टेलीमार्क
इन सबने उन्हें खूब सराहना दिलाई। उन्होंने महिलाओं की स्लालम स्पर्धा में 28वां स्थान हासिल करके इतिहास रचा।
18 साल बाद फिर आई दूसरी भारतीय महिला:
कुमार के बाद भारत को 18 वर्षों तक किसी महिला एथलीट का इंतजार करना पड़ा। अंततः 2006 ट्यूरिन विंटर ओलंपिक में नेहा आहुजा ने क्वालिफाइंग स्टैंडर्ड्स पूरा करते हुए महिलाओं की स्लालम और जायंट स्लालम में हिस्सा लेकर नई उपलब्धि हासिल की।
हालांकि शैलजा कुमार का प्रवेश आमंत्रण के आधार पर था, जबकि नेहा आहुजा ने सीधे क्वालिफाई किया।
आज तक, विंटर ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली केवल दो महिला एथलीट यही हैं—
शैलजा कुमार और नेहा आहुजा।



