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भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्मरण: राष्ट्रपति और पीएम ने अर्पित किए पुष्पांजलि, राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल लेक्चर का आयोजन

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भारत की प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उक्त अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देश की नियति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपराष्ट्रपति ने ट्वीट कर लिखा—

> “पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर स्मरण। आधुनिक भारत के मुख्य वास्तुकारों में से एक, डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हमारे राष्ट्र की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाई। उनकी सरलता, ईमानदारी और सभी के प्रति सहानुभूति हमेशा याद रखी जाएगी।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद साहस और विद्वता के प्रतीक थे। उन्होंने भारत की संस्कृति में गहरी जड़ें रखने के साथ-साथ देश की भविष्य की दृष्टि भी रखी।

> “डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को उनकी जयंती पर स्मरण। एक दिग्गज नेता, जिन्होंने साहस और विद्वता का प्रतीक बने। वे भारतीय संस्कृति में दृढ़ता से निहित थे और भारत की प्रगति के लिए भविष्यदृष्टि रखते थे।”

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 1884 में बिहार में हुआ था और वे 1950 से 1962 तक भारत के प्रथम राष्ट्रपति रहे। वे एक राजनीतिज्ञ और वकील थे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े। उन्होंने महात्मा गांधी के आंदोलन का समर्थन किया और 1931 के नमक सत्याग्रह तथा 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश प्रशासन द्वारा उन्हें जेल में डाल दिया गया।

राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल लेक्चर:

ऑल इंडिया रेडियो (AIR) द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल लेक्चर का वार्षिक संस्करण 3 दिसंबर को प्रसारित किया जाएगा। यह परंपरा 1969 से जारी है। इसके अंतर्गत पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और भारतीय साहित्य जगत के बड़े नामों ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर और विकास पर विचार प्रस्तुत किए।

इस वर्ष लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला 9:30 बजे से पूरे नेटवर्क पर भाषण देंगे। लेक्चर का प्रसारण दूरदर्शन पर 10:30 बजे से किया जाएगा। इस वर्ष का विषय है—“अमृत काल में भारतीयता”, जो भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाता है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती के इस अवसर ने देशवासियों को उनके योगदान, सादगी और नेतृत्व की स्मृति में एकजुट किया।

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