उत्तराखंड

शीतकाल में भी नहीं थमती आस्था: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने शुरू की चारधाम की शीतकालीन यात्रा

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चारधाम यात्रा की परंपरा सर्दियों में भी बरकरार रहती है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शुक्रवार को शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत करते हुए हरिद्वार से प्रस्थान किया। इससे पहले उन्होंने चंडी घाट पर गंगा पूजन कर विधिवत रूप से अपनी आध्यात्मिक यात्रा का आरंभ किया। हर वर्ष की भांति इस बार भी उन्होंने ग्रीष्मकालीन चारधाम यात्रा के समाप्त होते ही शीतकालीन यात्रा का क्रम जारी रखा है।

मीडिया से बातचीत में शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि चारधाम यात्रा कभी रुकती नहीं है—सिर्फ मौसम के अनुसार देवताओं के पूजा स्थल बदलते हैं। सर्दियों में देवताओं का वास शीतकालीन धामों में होता है और वहीं उन्हीं की नियमित पूजा-अर्चना की जाती है, ठीक वैसे ही जैसे गर्मियों में मूल धामों में की जाती है।

उन्होंने कहा कि ज्योतिष पीठ की परंपरा के अनुसार, गद्दीनशीन होने के बाद वह हर वर्ष शीतकालीन यात्रा प्रारंभ करते हैं। यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने वाली एक पवित्र परंपरा भी है।

शंकराचार्य ने बताया कि यात्रा के अगले पड़ाव में वह यमुना जी और गंगा जी के दर्शन-पूजन करेंगे, जिसके बाद ऊखीमठ में भगवान केदारनाथ के शीतकालीन पूजन में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि चारधाम के देवताओं की आराधना पूरे वर्ष निरंतर चलती है—चाहे मौसम कोई भी हो।

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