राजनीति

रोहिणी आचार्य की बगावत: RJD परिवार में सबसे बड़ा भूचाल, राजनीति और रिश्तों से किनारा

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बिहार में चुनावी हार ने पहले ही महागठबंधन और RJD के भीतर तनाव बढ़ा दिया था, लेकिन शनिवार की सुबह लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के एक छोटे से पोस्ट ने पूरे राजनीतिक माहौल को हिला दिया।
सिंगापुर में रहने वाली और 2022 में अपने पिता को किडनी दान कर राज्यभर में सम्मान पाने वाली रोहिणी ने अचानक राजनीति छोड़ने और परिवार से रिश्ता तोड़ने की घोषणा कर दी।

उनकी एक लाइन ने सबको चौंका दिया—
“मैं राजनीति छोड़ रही हूं… और अपने परिवार से भी नाता तोड़ रही हूं।”

यह एक वाक्य सिर्फ बयान नहीं था, बल्कि RJD के भीतर छुपे तनाव का खुला इज़हार था।

पटना एयरपोर्ट पर फूट पड़ा दर्द: ‘मेरा कोई परिवार नहीं… घर से निकाल दिया जाता है’

दिल्ली से पटना लौटने पर मीडिया ने जब उनसे सवाल पूछा, तो रोहिणी का दर्द सामने आ गया।
उन्होंने कहा—
“मेरा कोई परिवार नहीं है। संजय यादव, रमीज और तेजस्वी से पूछिए—उन्हीं लोगों ने मुझे परिवार से बाहर कर दिया।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि-

संजय यादव और रमीज़ का नाम लेने पर उन्हें घर से निकाल दिया जाता है, गालियाँ दी जाती हैं, और चप्पलों से मारने तक की नौबत आ जाती है।

राजनीतिक परिवार में ऐसे आरोप पहली बार खुले मंच पर सामने आए हैं।

तेज प्रताप आए बहन के समर्थन में:

तेज प्रताप यादव ने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा—
“मेरी बहन के साथ जो अपमान हुआ, वह असहनीय है। परिवार पर वार करने वालों को जनता माफ नहीं करेगी।”

उनकी यह प्रतिक्रिया रोहिणी के आरोपों को और ताकत देती दिखी।

सोशल मीडिया पर दोबारा छलका दर्द:

दोपहर में रोहिणी ने फिर X पर पोस्ट किया—
उन्होंने बताया कि एक बेटी, बहन, पत्नी और मां होने के बावजूद उन्हें

>गालियाँ दी गईं,

>चप्पल उठाकर मारने की कोशिश हुई,

>और आत्मसम्मान तोड़ने की कोशिश की गई।

वे लिखती हैं—
“मेरे आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकती। कल मुझे मेरा मायका छुड़वाया गया… मुझे अनाथ बना दिया गया।”

RJD में असली तनाव—‘संजय यादव फैक्टर’:

पार्टी के अंदर माना जाता है कि राज्यसभा सांसद संजय यादव, तेजस्वी यादव के सबसे प्रभावशाली सलाहकार हैं।
उन्हें पार्टी में “शैडो कमांडर” तक कहा जाता है।
रोहिणी और तेज प्रताप दोनों ही लंबे समय से इस ‘अत्यधिक दखल’ को लेकर नाराज़ बताए जाते रहे हैं।

एक बार एक पोस्ट भी वायरल हुई थी जिसमें संजय यादव को प्रचार बस में सबसे आगे बैठने पर सवाल उठाया गया था—और रोहिणी ने उसे जमकर शेयर किया था।

किडनी दान और आत्मसम्मान—रोहिणी की मुख्य पीड़ा:

2022 में पिता के ऑपरेशन से पहले रोहिणी ने साफ कहा था—
“मैं बेटी होने का धर्म निभा रही हूं, मुझे किसी पद की इच्छा नहीं। मेरा स्वाभिमान सबसे ऊपर है।”

ऐसा लगता है कि चुनाव के बाद यही स्वाभिमान उनके फैसले की वजह बन गया।

टिकट विवाद—पार्टी में चल रही पुरानी बातचीत:

चुनाव से पहले चर्चा थी कि रोहिणी टिकट चाहती थीं, लेकिन तेजस्वी सहमत नहीं थे।
कहा गया कि संजय यादव की सलाह पर उन्हें मौका नहीं मिला।
हालाँकि उन्होंने चुनावी महत्वाकांक्षा से इनकार किया था, पर यह मुद्दा पार्टी में अंदर ही अंदर चलता रहा।

तेज प्रताप वर्सेज संजय—पुराना अध्याय फिर खुला:

तेज प्रताप पहले भी संजय यादव को “जयचंद” कह चुके हैं।
अब रोहिणी के सार्वजनिक बयान ने यह साफ कर दिया कि यादव परिवार के भीतर संजय यादव की भूमिका को लेकर अविश्वास गहरा है।

चुनावी हार के बाद RJD में बढ़ता दबाव:

>तेजस्वी पर रणनीतिक गलती के आरोप,

>उम्मीदवार चयन को लेकर आलोचना,

>और अब रोहिणी का परिवार व पार्टी दोनों से अलग होना—

ये सब मिलकर RJD के अंदर नेतृत्व संकट को दिखाता है।

NDA ने साधा निशाना:

BJP और JDU ने रोहिणी का समर्थन करते हुए RJD पर हमला बोला।

दिलीप जायसवाल ने कहा—
“जिस बेटी ने पिता को जीवन दिया, उसी को परिवार से निकाल देना शर्मनाक है।”

JDU के नीरज कुमार बोले—
“लालू जी धृतराष्ट्र न बनें… बेटी का घर टूटना राजनीति पर भी सवाल है।”

NDA इसे RJD की टूट का संकेत बता रहा है।

RJD की चुप्पी—सबसे बड़ा रहस्य

तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज़—किसी ने भी अब तक एक शब्द नहीं बोला।
पार्टी इसे “निजी मामला” कहकर बच रही है,
लेकिन स्थिति साफ बताती है—
यह सिर्फ घर का विवाद नहीं, बल्कि पार्टी के भविष्य पर बड़ा संकट है।

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