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बांग्लादेश में फिर भड़का छात्र आंदोलन — यूनुस सरकार पर इस्लामीकरण के आरोप, ढाका से चटगांव तक हिंसा

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ढाका: बांग्लादेश एक बार फिर से उथल-पुथल के दौर में है। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के फैसले के खिलाफ देशभर में छात्रों का गुस्सा उफान पर है। सरकार ने हाल ही में स्कूलों से संगीत और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद खत्म करने का आदेश जारी किया, जिसके बाद ढाका से चटगांव तक विरोध की लहर फैल गई।

इस फैसले को छात्रों ने देश की सांस्कृतिक पहचान पर हमला बताया है। सैकड़ों छात्र मशालें लेकर सड़कों पर उतरे और नारे लगाए — “तुम स्कूलों से संगीत मिटा सकते हो, दिलों से नहीं।” कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं। ढाका के कुछ इलाकों में विस्फोट, झड़पें और आंशिक लॉकडाउन की खबरें सामने आई हैं।

विरोध प्रदर्शन केवल इस फैसले तक सीमित नहीं है, बल्कि यूनुस सरकार की इस्लामीकरण की नीति के खिलाफ एक व्यापक असंतोष का प्रतीक बन गया है।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस पर लोकतंत्र को कुचलने और कट्टरपंथी ताकतों का मुखौटा बनने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार पर “सांप्रदायिक और पिछड़ी शक्तियों” का दबाव बढ़ता जा रहा है।

13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट हसीना के खिलाफ लंबित मुकदमे में सुनवाई की तारीख तय करने वाला है। उन पर पिछले साल हुए छात्र आंदोलनों में हजार से अधिक मौतों के आरोप हैं — वही आंदोलन जिसने उन्हें अगस्त 2024 में देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।

विडंबना यह है कि जिस छात्र शक्ति ने कभी हसीना को सत्ता से बेदखल किया, वही अब यूनुस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई है। देशभर में आगजनी और क्रूड बम विस्फोटों की घटनाएं रिपोर्ट की जा रही हैं।

फरीदपुर, ब्राह्मणबारिया और ढाका के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने ग्रामीण बैंक की शाखाओं को निशाना बनाया। ब्राह्मणबारिया में मोहम्मद यूनुस के बैंक की एक शाखा में आग लगाई गई, जिसमें फर्नीचर और दस्तावेज जलकर नष्ट हो गए।

सरकार ने हिंसा के लिए अवामी लीग समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि छात्र संगठनों का दावा है कि यह विरोध “सांस्कृतिक स्वतंत्रता और शिक्षा में विविधता” के लिए है।

बांग्लादेश का माहौल फिलहाल तनावपूर्ण है — और सवाल यह उठ रहा है कि क्या यूनुस की अंतरिम सरकार भी उसी रास्ते पर बढ़ रही है, जिसने कभी शेख हसीना की सत्ता को खत्म किया था।

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