
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देहरादून में किया राष्ट्रपति निकेतन का उद्घाटन, रखी राष्ट्रपति उद्यान की आधारशिला
देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो शुक्रवार को 67 वर्ष की हो गईं, ने अपने तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे के दौरान देहरादून के राजपुर रोड स्थित राष्ट्रपति निकेतन और राष्ट्रपति तपोवन का उद्घाटन किया, साथ ही राष्ट्रपति उद्यान की आधारशिला भी रखी। उन्होंने राष्ट्रीय दृष्टिबाधित व्यक्तियों के सशक्तिकरण संस्थान (NIEPVD) का दौरा कर वहाँ के छात्रों से संवाद भी किया।
राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन आम जनता के लिए क्रमशः 24 जून और 1 जुलाई से खोले जाएंगे। राष्ट्रपति तपोवन, हिमालय की तलहटी में बसा 19 एकड़ का क्षेत्र है, जहाँ 117 प्रकार के पौधे, 52 तितलियाँ, 41 पक्षी प्रजातियाँ, और 7 जंगली स्तनधारी, जिनमें कुछ संरक्षित प्रजातियाँ भी शामिल हैं, पाए जाते हैं। यहाँ प्राकृतिक बांस के झुरमुट और जैविक वन्य पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद हैं।
राष्ट्रपति निकेतन, जिसे पहले प्रेसिडेंशियल रिट्रीट के नाम से जाना जाता था, की स्थापना 1976 में हुई थी। इसका इतिहास 1838 से जुड़ा है, जब यह गवर्नर जनरल की बॉडीगार्ड के लिए समर कैंप के रूप में प्रयोग किया जाता था। 21 एकड़ में फैले इस एस्टेट में लिली तालाब, ऐतिहासिक भवन, बाग-बगिचे और अश्वशालाएं हैं।
इस दौरान राष्ट्रपति ने 132 एकड़ में फैले राष्ट्रपति उद्यान की भी आधारशिला रखी। यह पार्क दिव्यांगजनों के लिए पूरी तरह सुलभ होगा और इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, संस्कृति और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति निकेतन, राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति उद्यान की जैव विविधता पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया, जिसमें 300 से अधिक वनस्पति प्रजातियाँ और 170 से अधिक जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिनमें तितलियाँ, पक्षी और स्तनधारी शामिल हैं।
NIEPVD संस्थान में छात्रों से बातचीत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “भारत का इतिहास संवेदनशीलता और समावेशन की प्रेरणादायक घटनाओं से भरा है। हमारे संस्कृतिक मूल्यों में मानवीय करुणा और प्रेम सदैव से विद्यमान हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि सुगम्य भारत अभियान के माध्यम से सरकार एक सुलभ भौतिक परिवेश, परिवहन, सूचना और संचार प्रणाली को विकसित करने पर कार्य कर रही है, ताकि दिव्यांगजनों को सशक्त बनाया जा सके और उन्हें मुख्यधारा में समान भागीदारी मिल सके। उन्होंने यह भी कहा, “उन्नत तकनीक की मदद से अब दिव्यांगजन भी मुख्यधारा में योगदान देने में सक्षम हो सकते हैं।”
इस दौरे ने उत्तराखंड के नागरिकों के लिए नई सुविधाओं और समावेशी सोच की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।