
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार धमाके की जांच में अब बड़ा मोड़ आ गया है। सोमवार शाम हुए इस आतंकी हमले में 13 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल हुए थे। अब जांच एजेंसियों का फोकस हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर केंद्रित हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने इस यूनिवर्सिटी की फंडिंग और वित्तीय लेन-देन की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दी है। आशंका जताई जा रही है कि यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल आतंकी मॉड्यूल के “कवर” के रूप में किया गया था।
फंडिंग पर गहराया शक — 26 लाख रुपये का रहस्य:
एनआईए की जांच में पता चला है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े चार डॉक्टर — डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर नबी — ने कथित तौर पर विस्फोटक खरीदने के लिए 26 लाख रुपये से अधिक की राशि जुटाई थी।
सूत्रों के अनुसार, यह रकम नकद में इकट्ठी की गई और ऑपरेशन की जिम्मेदारी डॉ. उमर नबी को दी गई थी। यही उमर नबी सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर विस्फोट में इस्तेमाल आई20 कार चला रहा था।
खाद से बना बम, जैश से संभावित लिंक:
जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि इस धन से 26 क्विंटल एनपीके खाद और अन्य रसायन खरीदे गए, जिनका इस्तेमाल आईईडी बनाने में किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि इन रसायनों का सोर्स और पेमेंट ट्रेल खंगाला जा रहा है। साथ ही, यह भी जांच हो रही है कि क्या इस मॉड्यूल के पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों से संपर्क थे।
आर्थिक ट्रांजेक्शन से खुली कई परतें:
जांच में सामने आया है कि विस्फोट से पहले उमर और मुजम्मिल के बीच पैसों को लेकर विवाद हुआ था। एजेंसियों को शक है कि इस विवाद ने हमले के समय या प्लानिंग को प्रभावित किया हो सकता है।
फिलहाल, एनआईए, एनएसजी और दिल्ली पुलिस की टीमें मिलकर पूरे नेटवर्क की वित्तीय कड़ियों की जांच में जुटी हैं।



