
हरियाणा और उत्तराखंड के स्कूलों में अब गूंजेगी श्रीमद्भगवद्गीता की वाणी
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HSEB) ने राज्य के सभी स्कूलों में प्रतिदिन प्रार्थना सभा के दौरान श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों के पाठ को अनिवार्य कर दिया है। इस संबंध में बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा स्कूल प्राचार्यों को पत्र भेजकर निर्देश दिया गया है कि गीता के श्लोकों का नियमित रूप से पाठ करवाया जाए, जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सके।
बोर्ड का मानना है कि श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाएं नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, जो बच्चों के चरित्र निर्माण में सहायक होंगी। इससे अनुशासन, जिम्मेदारी और एकाग्रता जैसे गुणों को बढ़ावा मिलेगा।
यह आदेश हरियाणा के सरकारी और निजी, दोनों प्रकार के स्कूलों पर लागू होगा, जो HSEB से संबद्ध हैं।
इसी तरह, उत्तराखंड सरकार ने भी 14 जुलाई को एक आदेश जारी कर राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान गीता श्लोकों के पाठ को अनिवार्य किया है।
इस आदेश में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने निर्देश दिया है कि हर दिन एक श्लोक का पाठ किया जाए, उसका अर्थ और वैज्ञानिक महत्व भी छात्रों को समझाया जाए। साथ ही प्रत्येक सप्ताह एक “श्लोक ऑफ द वीक” चुना जाएगा, जिसे विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर उसके अर्थ सहित प्रदर्शित किया जाएगा। छात्रों को उस श्लोक को समझने और आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, और सप्ताहांत में उस पर चर्चा और फीडबैक गतिविधियाँ होंगी।
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है, जिसमें पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षा में एकीकृत करने की सिफारिश की गई है।
हालांकि कई शिक्षाविद इस निर्णय का नैतिक शिक्षा के दृष्टिकोण से स्वागत कर रहे हैं, वहीं कुछ हलकों में यह बहस भी शुरू हो सकती है कि सार्वजनिक शिक्षा में धार्मिक ग्रंथों की भूमिका क्या होनी चाहिए।



