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राजस्थान की रेत पर गूंजी ‘मरु ज्वाला’, त्रिशूल ड्रिल के अंतिम चरण में सेना ने दिखाई जबरदस्त ताकत

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राजस्थान के जैसलमेर में भारत की दक्षिणी कमान ने मंगलवार को ‘एक्सरसाइज़ मरु ज्वाला’ का शानदार प्रदर्शन किया। यह अभ्यास पाकिस्तान सीमा के करीब आयोजित किया गया, जिसमें सैनिकों ने आसमान से छलांग लगाई, टैंकों ने रेत पर रफ्तार भरी और ड्रोन व रोबोटिक सिस्टम्स ने अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया। यह अभ्यास त्रिसेवा संयुक्त युद्धाभ्यास ‘त्रिशूल’ का अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सेना की तैयारियों और तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को प्रदर्शित करना है।

सेना द्वारा साझा किए गए वीडियो में टैंकों, आर्टिलरी, एविएशन और इंफेंट्री की एकजुट कार्रवाई दिखी, जो दर्शाती है कि भारतीय सेना किसी भी भूभाग में प्रभावी ढंग से ऑपरेशन करने में सक्षम है।

दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने इस अभ्यास की समीक्षा की और इसे त्रिशूल ड्रिल का “निर्णायक चरण” बताया। उन्होंने कहा —

“मरु ज्वाला अभ्यास बीते दो महीनों से चल रहे ऑपरेशन्स का अंतिम चरण है। इस दौरान हमारी स्ट्राइक फोर्स — सुदर्शन चक्र कोर — ने लगातार कड़ी ट्रेनिंग की है। शाहबाज़ डिविज़न, एविएशन ब्रिगेड, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट और पैरा-एसएफ बटालियन सभी ने मिलकर अपनी संयुक्त क्षमता का प्रदर्शन किया।”

सेठ ने सैनिकों की तत्परता और आधुनिक तकनीकी उपकरणों के समावेश की भी सराहना की, यह कहते हुए कि भारतीय सेना भविष्य की लड़ाइयों के लिए पूरी तरह तैयार है।

इसी बीच, पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम इलाकों में दाओ डिविज़न ने भी एक श्रृंखला में समन्वित प्रशिक्षण अभ्यास किए। सेना के मुताबिक, इन अभ्यासों का मकसद कठिन भौगोलिक और मौसमीय परिस्थितियों में फुर्ती, तालमेल और मिशन रेडीनेस को परखना था।
इस दौरान सैनिकों ने कई सिम्युलेटेड ऑपरेशन ड्रिल्स के जरिए अपनी रणनीतिक प्रतिक्रियाओं और मानक प्रक्रियाओं को मजबूत किया।

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