
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में इतिहास दोहराया गया, जब 23 वर्षीय नक्सली महिला सुनीता ओयम ने अपने कंधे से भारी लगने वाली INSAS राइफल उतारी और पुलिस कंट्रोल रूम में आत्मसमर्पण कर दिया।
सिर्फ पांच फीट लंबी इस युवती पर तीन राज्यों में कुल ₹14 लाख का इनाम घोषित था — और वह मध्य भारत की सबसे वांछित महिला नक्सलियों में से एक थी।
पुलिस भी हैरान रह गई, क्योंकि सामने खड़ी सुनीता किसी कुख्यात नक्सली कमांडर जैसी नहीं लग रही थी। वह दरअसल मलाजखंड-दर्रेकेसा दलम की एरिया कमेटी सदस्य थी, जो लंबे समय से एमएमसी (मध्य प्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़) जोन में सक्रिय थी।
यह आत्मसमर्पण खास इसलिए भी था क्योंकि मध्य प्रदेश में पिछले 33 सालों में किसी नक्सली ने पहली बार आत्मसमर्पण किया, और यह राज्य की नई पुनर्वास एवं राहत नीति के तहत हुआ।
जब सुनीता ने पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा के सामने अपनी राइफल टेबल पर रखी, तो मीडिया की कैमरों की फ्लैश के बीच वह बस हल्के से मुस्कुराई — कुछ बोली नहीं।
लेकिन जब उसके पिता और परिवारजन उससे मिलने पहुंचे, तो वह खुद को रोक नहीं पाई और फूट-फूटकर रो पड़ी।
सुनीता छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गोमवेटा गांव की रहने वाली है। उसके पिता बिसरू ओयम ने बताया कि, “तीन साल पहले नक्सली आए थे और मेरी बेटी को अपने साथ ले गए। बाद में उन्होंने छोटी बेटी को भी मांग लिया, पर मैंने इंकार कर दिया।”
बालाघाट पुलिस के अनुसार, सुनीता को बाद में नक्सली संगठन में सेंट्रल कमेटी सदस्य ‘रामदर’ की सुरक्षा गार्ड के रूप में तैनात किया गया था। धीरे-धीरे वह एरिया कमेटी सदस्य बन गई और उस पर भारी इनाम घोषित हुआ।
31 अक्टूबर की सुबह, बालाघाट के जंगलों में उसने चुपचाप अपना यूनिफॉर्म और हथियार उठाया और अपने दल से निकल पड़ी।
1 नवंबर को उसने लांजी थाना क्षेत्र के चौरिया हॉक फोर्स कैंप पहुंचकर आत्मसमर्पण की इच्छा जताई। उसने तीन मैगजीन, 30 जिंदा कारतूस और एक UBGL शेल के साथ राइफल पुलिस को सौंप दी।
आईजी संजय कुमार ने कहा, “सुनीता ने साहस दिखाया है। यह दूसरों के लिए भी संदेश है कि सरकार सुरक्षा और पुनर्वास की गारंटी देती है।”
वहीं एसपी मिश्रा ने कहा, “सुनीता का मामला नक्सली संगठनों की सच्चाई उजागर करता है, जो निर्दोष आदिवासी युवाओं को जबरन अपने नेटवर्क में शामिल करते हैं।”
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सुनीता को 20 लाख रुपये का पुनर्वास पैकेज, 1.5 लाख रुपये आवास सहायता, 50 हजार रुपये विवाह अनुदान और 1.5 लाख रुपये शिक्षा सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, “पिछले दस महीनों में राज्य में लगभग ₹1.5 करोड़ के इनामी नक्सलियों को समाप्त या आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया गया है। यह हमारे संवाद अभियान की सफलता का प्रमाण है।”



