
दिल्ली-एनसीआर में इस दिवाली पटाखे जलाने पर लोगों को राहत मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पटाखों पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को “अव्यावहारिक” बताते हुए इसमें ढील के संकेत दिए हैं।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत का उद्देश्य पर्यावरण और आजीविका — दोनों के बीच संतुलन बनाना है।
केंद्र सरकार और एनसीआर राज्यों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बच्चों को दीवाली और अन्य त्योहारों पर पटाखे फोड़ने की अनुमति देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा —
> “सख्त आदेश हमेशा व्यावहारिक नहीं होते। बच्चों को दो दिन खुशी मनाने दीजिए।”
सुप्रीम कोर्ट का रुख — “पूर्ण प्रतिबंध नहीं, व्यावहारिक समाधान चाहिए”
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद लोग पटाखों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “सख्त आदेश अक्सर समस्याएं पैदा करते हैं, समाधान नहीं।”
पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार, एनसीआर राज्यों, पर्यावरणविदों और पटाखा निर्माताओं से विस्तृत बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
हरित पटाखों पर जोर, पराली और उद्योगों को लेकर भी सवाल
सुनवाई में यह तर्क भी रखा गया कि दिल्ली में अधिकतर प्रदूषण पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन से होता है, न कि त्योहारों के पटाखों से।
हरित पटाखा निर्माताओं ने कहा कि उनके उत्पादों पर बैन लगाना 2017 और 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।
उम्मीदें बढ़ीं, फैसला जल्द
सुप्रीम कोर्ट का रुख देखकर माना जा रहा है कि इस बार दिवाली पर “ग्रीन क्रैकर्स” को सशर्त मंजूरी मिल सकती है।
फैसला आने के बाद दिल्ली और एनसीआर के लोग यह तय कर पाएंगे कि इस साल दीवाली कितनी रौनक भरी होगी।



