
उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) से फिलहाल अनुसूचित जनजातियों (ST) को बाहर रखा गया है, लेकिन अब राज्य सरकार उन्हें स्वैच्छिक रूप से UCC में शामिल होने का विकल्प देने की तैयारी कर रही है। कुछ जनजातीय प्रतिनिधियों ने सरकार को पत्र लिखकर इस व्यवस्था में शामिल होने की इच्छा जताई है।
यदि यह कदम आगे बढ़ता है, तो थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा और राजी जैसी जनजातियाँ भी ऑनलाइन विवाह पंजीकरण और सरकारी दस्तावेजों की डिजिटल सुविधाओं का लाभ ले सकेंगी। इससे प्रशासनिक कामकाज में आसानी होगी, लेकिन समाज के कुछ हिस्सों में संस्कृति और परंपराओं पर असर को लेकर चिंता भी जताई जा रही है।
पूर्व मुख्य सचिव और UCC नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह का कहना है कि “जो भी जनजाति स्वेच्छा से UCC में शामिल होगी, उसे निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा।” वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि यह एक विस्तृत अध्ययन और संवाद का विषय है और जनजातीय समुदायों से चर्चा के बाद ही आगे कदम उठाया जाएगा।
फायदे:
>विवाह पंजीकरण और सरकारी दस्तावेज़ों में आसानी
>कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता
>अधिकारों और जिम्मेदारियों की स्पष्टता
चिंताएं:
>पारंपरिक रीति-रिवाजों पर असर
>सांस्कृतिक पहचान को लेकर शंका
>सामाजिक सहमति बनाने की चुनौती




