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7 मई को देशभर में सुरक्षा तैयारियों की मॉक ड्रिल, 259 स्थानों पर होंगे अभ्यास

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7 मई को देशभर में सुरक्षा तैयारियों की मॉक ड्रिल, 259 स्थानों पर होंगे अभ्यास

देशभर में सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए 7 मई को 259 स्थानों पर एक राष्ट्रव्यापी मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। यह अभ्यास मुख्य रूप से हवाई हमले की चेतावनी (एयर रेड साइरन), ब्लैकआउट जैसी आपातकालीन स्थितियों में पहले प्रतिक्रियात्मक कदमों के प्रशिक्षण पर केंद्रित होगा।

यह मॉक ड्रिल ऐसे समय पर हो रही है जब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है। यह अभ्यास 1971 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

गृह सचिव गोविंद मोहन ने मंगलवार को इस संबंध में एक अहम बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें देश भर में सिविल डिफेंस की तैयारियों की समीक्षा की गई। इस बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्य सचिवों और सिविल डिफेंस प्रमुखों ने भाग लिया। ध्यान विशेष रूप से 2010 में अधिसूचित 259 सिविल डिफेंस जिलों पर केंद्रित रहा।

इन जिलों में से कई राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर जैसे सीमावर्ती राज्यों में स्थित हैं, जिन्हें बहु-आपदा परिदृश्यों का अभ्यास करने के निर्देश दिए गए हैं।

दिल्ली, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों में सक्रिय सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की मजबूत मौजूदगी है, जो आमतौर पर यातायात और भीड़ प्रबंधन जैसे नागरिक कर्तव्यों में लगे रहते हैं। भारत की सिविल डिफेंस प्रणाली मुख्य रूप से स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं पर आधारित है, जिन्हें आपातकालीन स्थितियों में सक्रिय किया जाता है।

गृह मंत्रालय में चल रही समीक्षा बैठक में देश भर के 244 सिविल डिफेंस केंद्रों की स्थिति का मूल्यांकन किया जा रहा है। इसमें यह देखा जा रहा है कि मौजूदा ढांचा कार्यशील है या मरम्मत की जरूरत में है।

बैठक में आम नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने की योजना भी बनाई जा रही है। प्रमुख बिंदुओं में एयर रेड साइरन सुनने पर प्रतिक्रिया, ब्लैकआउट के समय की सावधानियां और जरूरी आपूर्ति की तत्परता शामिल है।

अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों में प्राथमिक चिकित्सा किट, टॉर्च, मोमबत्तियां और नकद राशि जैसी जरूरी चीजें तैयार रखें ताकि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक विफलता के दौरान उनका उपयोग किया जा सके। इन 259 स्थानों में से 100 से अधिक को अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है।

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