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**भारतीय सेना ने पहली बार पेश किया लेज़र हथियार, ड्रोन और मिसाइलों को निष्क्रिय करने में सक्षम**

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भारतीय सेना ने अपनी पहली स्वदेशी लेज़र हथियार प्रणाली का अनावरण किया है, जो देश की रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। यह “डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स” (DEWs), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किए गए हैं, जो ड्रोन और मिसाइल जैसे हवाई खतरों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और निष्क्रिय करने में सक्षम हैं।

यह प्रणाली “सॉफ्ट किल” तकनीकों जैसे जैमिंग और स्पूफिंग को “हार्ड किल” क्षमताओं के साथ जोड़ती है, जिसमें उच्च-ऊर्जा लेज़र का उपयोग करके लक्ष्यों को शारीरिक रूप से नष्ट किया जाता है। यह प्रणाली 800 मीटर तक के दायरे में लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता रखती है, जबकि 8 किलोमीटर दूर तक खतरों का पता लगाने में सक्षम है। यह सेना को ड्रोन विरोधी अभियानों में एक बड़ी बढ़त देती है।

इस अत्याधुनिक प्रणाली का नाम “इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम” (IDD&IS) रखा गया है और इसे पहले ही उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया जा चुका है, खासकर चीन से सटी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में।

भविष्य में इन हथियारों की क्षमता को 30–40 किलोवाट तक बढ़ाने की योजना है, जिससे इनकी रेंज और प्रभावशीलता और बढ़ेगी। इस कदम के साथ भारत अब उन वैश्विक सैन्य शक्तियों की कतार में शामिल हो रहा है जो लेज़र तकनीक का इस्तेमाल बदलते सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए कर रही हैं। यह तैनाती भारत की वायु-सीमा की सुरक्षा और रक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक निर्णायक पहल है।

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