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आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा 2025: आध्यात्मिक यात्रा का शुभारंभ!!

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आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा 2025: आध्यात्मिक यात्रा का शुभारंभ

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पवित्र आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा का शुभारंभ 2 मई 2025 को हुआ, जब पार्वती सरोवर के पास स्थित शिव मंदिर के कपाट पारंपरिक विधि-विधान के साथ खोले गए। इससे पहले, यात्रा के लिए आवश्यक इनर लाइन परमिट (ILP) 30 अप्रैल 2025 से जारी किए गए थे, जिससे तीर्थयात्रियों को आधिकारिक रूप से यात्रा शुरू करने की अनुमति मिली।

यात्रा का मार्ग और प्रमुख स्थल

यात्रा की शुरुआत काठगोदाम या धारचूला से होती है, जहां से यात्री गूंजी, नाभीढांग, और जोलिंगकोंग होते हुए आदि कैलाश और ओम पर्वत तक पहुंचते हैं। गूंजी से नाभीढांग की यात्रा के दौरान, यात्री प्राकृतिक रूप से ‘ॐ’ चिन्ह वाले ओम पर्वत के दर्शन करते हैं, जो इस यात्रा का एक प्रमुख आकर्षण है।

सुविधाएं और व्यवस्थाएं

कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) द्वारा यात्रा के दौरान यात्रियों के लिए आवास, भोजन, और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। यात्रा मार्ग पर स्थित KMVN के गेस्ट हाउसों में ठहरने की सुविधा उपलब्ध है।

हेली सेवा द्वारा दर्शन

उन यात्रियों के लिए जो समय की कमी या शारीरिक कारणों से पूरी यात्रा नहीं कर सकते, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड और KMVN के सहयोग से हेली सेवा द्वारा आदि कैलाश और ओम पर्वत के हवाई दर्शन की व्यवस्था की गई है। यह सेवा पिथौरागढ़ से शुरू होती है और लगभग 2 घंटे 15 मिनट की उड़ान में दोनों पवित्र स्थलों के दर्शन कराती है। (Trip To 

यात्रा की अवधि और मौसम

आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा का मौसम मई से अक्टूबर तक होता है, जिसमें मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के महीने यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। इस दौरान मौसम सामान्यतः अनुकूल रहता है, जिससे यात्रा सुगम होती है।

पंजीकरण और संपर्क

यात्रा में भाग लेने के इच्छुक श्रद्धालु KMVN की आधिकारिक वेबसाइट या अधिकृत यात्रा आयोजकों के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं। यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेजों में पहचान पत्र, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, और इनर लाइन परमिट शामिल हैं।

आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह हिमालय की सुंदरता और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करने का एक अद्वितीय अवसर भी प्रदान करती है। इस यात्रा के माध्यम से श्रद्धालु भगवान शिव के दिव्य स्वरूप का साक्षात्कार कर सकते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।

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