800 किमी/घंटा पर सफल ‘इजेक्शन टेस्ट’: DRDO ने रचा इतिहास, दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हुआ भारत

भारत ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए इतिहास रच दिया है। DRDO ने लड़ाकू विमान के इजेक्शन सिस्टम का 800 किमी/घंटा की नियंत्रित रफ़्तार पर हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह उपलब्धि भारत को उन कुछ चुनिंदा देशों की श्रेणी में पहुंचाती है, जिनके पास अत्याधुनिक ‘इन-हाउस’ इजेक्शन सिस्टम टेस्टिंग क्षमता है।
टेस्ट कैसे हुआ?
यह परीक्षण चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) के Rail Track Rocket Sled (RTRS) केंद्र पर किया गया।
इसमें:
>फाइटर जेट के फोरबॉडी मॉडल को
>कई सॉलिड रॉकेट मोटर्स के संतुलित फायरिंग के साथ
>अत्यंत सटीक गति पर आगे बढ़ाया गया।
टेस्ट के दौरान कैनोपी तोड़ने की प्रक्रिया (canopy severance), इजेक्शन सीक्वेंसिंग, और एयरक्रू रिकवरी सिस्टम को सफलतापूर्वक वैलिडेट किया गया।
डमी के जरिए वास्तविक पायलट अनुभव की नकल
DRDO ने एक इंस्ट्रूमेंटेड एंथ्रोपोमोर्फिक टेस्ट डमी का उपयोग किया, जिसने:
>लोड,
>मोमेंट,
>एक्सलेरेशन
जैसे सभी महत्वपूर्ण डेटा रिकॉर्ड किए— यानी वे स्थितियाँ जिन्हें असली पायलट इजेक्शन के समय महसूस करता है। पूरे टेस्ट को ऑनबोर्ड और ग्राउंड-बेस्ड कैमरों से रिकॉर्ड किया गया।
डायनेमिक टेस्ट क्यों खास है?
मंत्रालय के अनुसार, यह परीक्षण सामान्य ‘स्टैटिक टेस्ट’ जैसे नेट टेस्ट या ज़ीरो-ज़ीरो टेस्ट से कहीं अधिक कठिन माना जाता है।
यह इजेक्शन सीट की वास्तविक क्षमता की असली जांच होती है।
देशभर से बधाइयाँ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, IAF, ADA और HAL को इस सफलता पर बधाई दी और इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मील का पत्थर बताया।
DRDO चीफ समीर वी. कामत ने भी टीम की सराहना की और कहा कि यह परीक्षण भारत की तकनीकी क्षमता को नए स्तर पर लेकर जाता है।



