25 साल का उत्तराखंड: सीमित संसाधनों से शुरू हुई यात्रा, अब देश के अग्रणी राज्यों में शुमार

उत्तराखंड राज्य ने 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आने के बाद 25 वर्षों की विकास यात्रा में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। कभी सीमित संसाधनों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों से जूझता यह पहाड़ी राज्य आज भारत के तेज़ी से उभरते हुए राज्यों में शामिल है। वर्ष 2001-02 में जहां उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था मात्र 15,826 करोड़ रुपये के आकार पर थी, वहीं आज यह बढ़कर 3.78 लाख करोड़ रुपये के मजबूत स्तर तक पहुंच चुकी है।
सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के मामले में भी उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व स्थापित किया है। नीति आयोग की 2023-24 रिपोर्ट में राज्य केरल के साथ प्रथम स्थान पर रहा है, जो विकास के संतुलित और सफल मॉडल का उदाहरण है।
आर्थिक सुधारों और प्रशासनिक दक्षता ने बजट आकार में भी ऐतिहासिक बदलाव लाए हैं। जहां 2002-03 में राज्य का बजट सिर्फ 5,880 करोड़ रुपये था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 1 लाख 1175 करोड़ रुपये को पार कर चुका है। यह परिवर्तन अपने आप में आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी कहता है।
प्रति व्यक्ति आय में 7 गुना वृद्धि:
“वर्ष प्रति व्यक्ति आय (₹)”
>2001-02 16,232
>2024-25 2,74,064
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में “डबल इंजन सरकार” ने राज्य को प्राथमिक सेक्टर—विशेषकर बागवानी, कृषि, मिलेट उत्पादन—में मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। 1200 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं किसानों और युवाओं को नई दिशा दे रही हैं।
छत्तीसगढ़ और झारखंड से बेहतर प्रदर्शन:
“2000 में बने तीन राज्यों (उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड) में उत्तराखंड अब आर्थिक रूप से सबसे मजबूत स्थिति में पहुँच चुका है।”
>उत्तराखंड: ₹2.46 लाख प्रति व्यक्ति आय
>छत्तीसगढ़: ₹1.47 लाख
>झारखंड: ₹1.05 लाख
यह अंतर साफ दिखाता है कि उत्तराखंड ने कम संसाधनों के बावजूद बेहतर प्रशासन और विकास नीतियों के माध्यम से बड़ी छलांग लगाई है।



